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लोग ये बात भूल गए हैं कि मेरे अंदर भी जान है. भले ही मैं इंसानों की तरह ऑक्सीजन नहीं लेता. लेकिन सृष्टि के जीवों जिंदा रखने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड जरूर लेता हूं. खैर, आज मुझ पर ये इलजाम लगाया गया है कि मैं लोगों के आराम में खलल डालने लगा हूं. मेरा बढ़ता कद बिजली विभाग के कर्मचारियों के साथ अधिकारियों के लिए भी परेशानी का सबब बन चुका है. बिजली कटती है तो मेरी गलती, फॉल्ट हो तो मेरी गलती. क्यों भई, मेरा कद बढऩा तो एक नेचुरल प्रोसेस है. इसमें किसी को प्रॉब्लम क्यों है? अब जरा मेरे साथ क्या-क्या होता है, आपको बताता हूं…
मैं एक ऐसे किस्म का पेड़ हूं, जो तेजी से ग्रो करता है. मेरी उम्र ज्यादा नहीं है. महज छह-सात साल और क्या? उसके बाद भी मुझ पर ऐसे गंभीर इलजाम क्यों? शायद आप भूल गए कि आपने ही मुझे एक पौधे के रूप में लगाया था. ताकि मैं तेजी से बड़ा होकर शहर को ऑक्सीजन तो दूं ही साथ प्रकृति की सौंदर्यता में भी चार-चांद लगाऊं? अब मुझको अधिकारियों और लोगों ने दोषी बना दिया है.
अब मैं आपको क्या बताऊं कि मैं कितने दर्द झेलता हूं. कितने वॉल्ट के झटके मुझे झेलने पड़ते हैं. ये बिजली के तार यदा-कदा मुझे करंट से जगा देते हैं. तेज आंधी और बरसात में तो ये और भी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं. कभी तो मन करता है आत्महत्या कर लूं. उसके बाद मन में आता है कि उस बूढ़ी अम्मा का क्या होगा जो मेरे नीचे बैठकर भुट्टा भूनकर बेचती है. भले ही ये दुनिया मेरे लिए निर्दयी हो लेकिन मैं इतना जालिम नहीं हूं.
अब मैं बिजली विभाग की निर्दयता की पराकाष्ठा का चित्रण करता हूं. वो कहते हैं कि पेड़ बढ़ते हैं और बिजली की तारे टूटती हैं और फॉल्ट होता है. जिसको ठीक करने के लिए रोस्टिंग करनी पड़ती है. ऐसा न हो इसके लिए हर छह महीने में पेड़ों के कद को छोटा किया जाए. उन्हें काट दिया जाए. यानि बिजली विभाग की सुस्ती और लापरवाही का ठीकरा मुझपर फोड़ा जाता है. क्यों कहां गई वो करोड़ों की योजनाएं जिसके तहत सभी बिजली की वायर को अंडरग्राउंड किया जाना था.
वैसे ही मेरी तदाद लगातार कम होती जा रही है. जिस तरह से मुझे मिटाने का प्रोसेस जारी है. मैं आपको खुद ही कुछ ही दिनों में दिखाई नहीं दूंगा. फिर आप मुझे क्यों परेशान कर रहे हो? मेरी बाकी बची-कुची मुझे आराम से काटने दीजिए. अब मैं आपसे कुछ नहीं कहना चाहता. देखिए मेरी कटाई छंटाई करने के लिए बिजली विभाग के दूत आ गए हैं.
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