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और इकबाल पास हो गया…

ummeed
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दिल्ली रोड पर दैनिक जागरण का ऑफिस है उसी के बराबर में शादी का मंडप भी. एक सात साल का छोटा सा बच्चा चोरी करते पकड़ा गया. ताज्जुब की बात तो थी कि पब्लिक ने उसे थोड़ी देर छोड़ दिया. आप भी कहेंगे की बच्चे को छोड़कर लोगों कौन सा बड़ा काम किया, अजी बड़ा काम तो उस बच्चे ने किया. आगे इकबाल की कहानी पड़ेंगे तो अपने आप समझ जायेंगे.

आज इकबाल (काल्पनिक नाम) के गुरु को उसपर नाज होगा. खूब शाबाशी मिली होगी. क्योंकि वो चोरी के पहले एग्जाम अव्वल रहा. भले ही आज उसके खाली हाथ थे लेकिन उसने वो पैंतरे आजमाए, उसके गुरु ने उसे इमरजेंसी के समय में इस्तेमाल करने के लिए बताए थे. गुरुवार को इकबाल वीनस गार्डन में अपने सीनियर के साथ गया तो चोरी के इरादे था लेकिन पकड़ा गया. अब उसे खुद को बचाना था. जिसमें लागू होता है फार्मूला नंबर वन – मासूम बच्चे की तरह रोना और चोरी को अपनी मजबूरी बताना. फिर क्या था. पब्लिक का दिल पिघल गया और पुलिस के पहुंचने से पहले ही इकबाल बाइज्जत पब्लिक की अदालत से बरी हो गया.

लिसाड़ी गेट में धूल फांकते इकबाल को डेढ़ साल पहले उसके मौजूदा गुरु ने अपना शिष्य बनाया था. इकबाल की शिक्षा वहीं से शुरू हुई. जहां उसने जुर्म की एबीसीडी सीखी. उसके गुरू ने उसे पहली क्लास में छोटी-मोटी चोरी करने की कला में माहिर करने का काम शुरू कर दिया. गुरू ने उसे सिखाया कि पहले ये पता करो कि कहां पार्टी और शादी हो रही है. वहां अच्छे कपड़े पहनकर अंदर घुसों और मौका देखकर महिलाओं का पर्स और छोटा मगर कीमती सामान चोरी करो. मगर हां अपने साथ ऐसा कोई पॉली बैग जरूर साथ में रखो जिसे सामान छुपाने में काम आ सके. इकबाल ने भी अपने सीनियर के साथ ऐसा ही किया था. जब वीनस गार्डन में सब लंच करने में जुटे थे तो उसने महिला के पर्स पर हाथ साफ किया और चुपके से पास आकर पॉली बैग में पर्स रख लिया.

गुरु ने इकबाल को कच्चा खिलाड़ी नहीं बनाया था. छोटी सी उम्र में इकबाल को चोरी में परिपक्व कर चुका था. पकड़े जाने पर इकबाल को वो सभी पैंतरे सिखाए थे, जिन्हें वो यूज कर आसानी से पुलिस और पब्लिक की मार से बच निकल सकता था. जब इकबाल और उसका सीनियर चोरी को अंजाम देकर मेन रोड पर पहुंच चुके थे तो वीनस में चोरी का शोर मच गया. दोनों अलग-अलग दिशाओं में भागे. ट्रेनिंग में यही सिखाया गया था. पहला असाइंमेंट था तो इकबाल थोड़ा नर्वस हो गया. बैग दूर फेंक दिया और एक टैंपू चालक ने दबोच लिया.

इकबाल के सामने पब्लिक खड़ी हो गई. उसने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया. पब्लिक इकबाल को वीनस लेकर आई. उससे आम सवाल चोरी क्यों करते हो, पढ़ाई क्यों नहीं करते हो? मम्मी पापा है या नहीं, कहां रहते हो जैसे सवाल किए गए. इकबाल अपना बनावटी रोनापन और ज्यादा किए जा रहा था. उसने ट्रेनिंग में बताई गई सभी सवालों का बखूबी उत्तर दिया. मम्मी पापा नहीं, पापी पेट के लिए चोरी, फुटपाथ पर सोना, जैसे मगरमच्छ के आंसू टपका टपकाकर दे रहा था. फिर क्या था पब्लिक का दिल पिघलने में देर नहीं लगी और उसे पुलिस के पहुंचने से पहले छोड़ दिया. और इकबाल अपने गुरू की नजरों में पहले असाइंमेंट में पास हो गया.

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